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Mustard Variety: पूसा डबल जीरो सरसों 33 सफेद रतवा रोग प्रतिरोधी, व उत्पादन हैं बेहतर

Mustard Variety: पूसा डबल जीरो सरसों 33 सफेद रतवा रोग प्रतिरोधी, व उत्पादन हैं बेहतर

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Sarso Variety : केंद्रीय किस विमोचन समिति के द्वारा पूसा डबल जीरो सरसों 33 को किसानों के लिए 2021 में विमोचन किया गया। सरसों ( Mustard) की इस किस्म को पकाने में 141 दिन का समय लगता है। कृषि विश्वविद्यालय में कृषि वैज्ञानिकों ने इस समय किसानों की आय को बढ़ाने के लिए नई किस्म के बीज तैयार कर रही है। इस किस्म को तैयार ( ICAR) भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के द्वारा विकसित किया गया है।

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पूसा डबल जीरो सरसों 33 वैरायटी से किसान कम लागत के साथ अधिक पैदावार ले सकते हैं। सरसों की यह वैरायटी विभिन्न प्रकार के कीट रोग प्रतिरोधी है। सफेद रतवा रोग सरसों की खेती में आने वाला रोग है। यह किस्म अच्छे उत्पादन के साथ इसकी समय यह रोग काम होता है। जानते हैं देश भर के किन क्षेत्रों में इस वैरायटी की खेती की जा सकती है।

 

 

पूसा डबल जीरो सरसों 33 इन राज्यों में कर सकते हैं इस किस्म की खेती

सरसों की इस वैरायटी की खेती पश्चिमी व उत्तरी भारत के इलाकों में की जा सकती है। इन क्षेत्रों में आने वाले राज्य हिमाचल उत्तर प्रदेश दिल्ली राजस्थान पंजाब जम्मू कश्मीर और हरियाणा में की जा सकती है। जानकारी के अनुसार अधिक पैदावार के लिए इन राज्यों में इस किस्म की खेती को बोया जा सकता है।

 

पूसा डबल जीरो सरसों 33 उत्पादन व समय

किसी भी प्रकार की खेती करने से पहले बीज अच्छी किस्म का होना महत्वपूर्ण होता है। जिससे किसानों को अधिक पैदावार मिल सके। सरसों की इस किस्म से औसत 26.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से पैदावार ली जा सकती है व अधिकतम 31.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज ले सकते हैं। पक्कर तैयार होने में लगभग 141 दिन का समय लगता है।

 

अन्य विशेषताएँ

पूसा डबल जीरो सरसों 33 अन्य विशेषताओं की बात करें तो सिंचित अवस्था में समय से बुवाई के लिए अच्छी किस्म है। सरसों की इस वैरायटी में ग्लूकोससाइनोलेट्स 15.2 PPM व इरुषिक एसिड 1.13% तक होता है। सरसों की इस किस्म के बीज का रंग पीला होता है।

 

 

महत्वपूर्ण यह है कि सरसों की यह किस्म रोगों के प्रतिरोधी कितनी है। पूसा वैरायटी उसे क्षेत्र में किस कर सकते हैं जहां सफेद रतवा रोग ज्यादा होने की संभावना होती है। क्योंकि यह किस्म सफेद रतुआ रोग के लिए प्रतिरोधी है। इसका तेल भी जानवरों और मनुष्य के लिए उपयुक्त है। सरसों की इसकी समय 38% तेल की मात्रा होती है।

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नोट:- किसान भाई बुआई करने से पहले अपने क्षेत्र के तापमान और मिट्टी की गुणवत्ता के हिसाब से वैरायटी को चुने । व बुआई से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवशय लें।

Web Desk

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